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!! श्री राजजी का सिंगर !!
पहेलो सिणगार कीधो मारे वालेजीए, तेहनुं ते वरणवुं लवलेस ।
पछे संवाद वालाजी साथनो, ते मारी बुध सारुं कहेस ।। १ ।। |
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सोभा रे मारा स्याम तणी, सखी केणी पेरे वरणवुं एह ।
सबदातीत मारा वालाजीनी सोभा, मारी जिभ्या आणी देह ।। २ ।। |
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चरण तणां अंगूठा कोमल, नख हीरा तणां झलकार ।
रंग तो जोई जोई मोहिए, पासे कोमल आंगलियों सार ।। ३ ।। |
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फणा नसो अने कांकसा, अति रंग घणुं रे सोहाय ।
जीव थकी अलगां नव कीजे, राखिए चरण चित मांय ।। ४ ।। |
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चरण तले पदमनी रेखा, करे ते अति झलकार ।
पानी लांक लाल रंग सोभे, इन्द्रावती निरखे करार ।। ५ ।।
प्रणाम जी............
योगी अर्जुन राज पुरी
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12 जून 2012
पहेलो सिणगार कीधो मारे वालेजीए
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