12 जून 2012

जोगमायानो देह धरीने


!! सुन्दरसाथ का सिंगर राग धन्यासरी !!
जोगमायानो   देह   धरीने,   श्री  श्यामाजी  थयां तैयार 
ततखिण तिहां तेणे ठामे, मारे साथे कीधो सिणगार ।। १ ।।
सोभा सागर साथ तणी, सखी  केणी  पेरे    वरणवाय 
हुं रे अबूझ कांई घणुं नव लहुं,  एनुं  निरमाण  केम करी थाय  ।।    ।।
कोटान कोट जाणे   सूरज  उदया,  ब्रह्मांड  न माय झलकार 
प्रघल पूर जाणे  सायर  उलट्यो,  एक  रस थई सरवे  नार  ।।    ।।
एक नखतणी जो जोत तमे जुओ, तेमां कै ने  सूरज  ढंपाय 
केम करी सोभा वरणवुं रे सखियो, मारो सबद न पहोंचे त्यांय ।।    ।।
वली गुण जो जो  तमे  नखतणां, हुं तेहनो ते कहुं विचार 
सूरज  द्रष्टे  ताप    थाय,  आणे अंग  उपजे   करार ।। ५ ।।
साथतणी रे साडियुं ज्यारे जोइए, तेमां रंग  दीसे अपार 
अनेक विधनां जवेर ज  दीसे,  करे ते अति झलकार  ।। ६ ।।
तेवा सरूप ने  तेवा  भूषण,   तेज   तणां  अंबार 
ए अजवालुं ज्यारे  जीव  जुए, त्यारे सुं  करे संसार ।। ।।
मांहों मांहें वालाजीनी वातो, बीजो  चितमां नथी उचार 
ततखिण वेण सांभलतां  वल्लभ,  खिण  नव लागी वार  ।।  ८ ।।
मन उमंग वालाजीसुं  रमवा,  आयत  अति घणी थाय ।
आनन्द  मांहें  अति   उजाय,  धरणी     लागे  पाय  ।। ९ ।।
भूषण स्वर  सोहामणां, मुख  वाणी  ते  बोले  रसाल ।
ए स्वरने ज्यारे श्रवणा  दीजे,  त्यारे  आडो    आवे पंपाल ।। १० ।।
साथ सकल मारा वाला पासे आव्यो, मन आणी उलास ।
विविध पेरे वालाजीसुं रमवा, चितमां  नथी  मायानो पास ।। ११ ।।
रस भर रंग वालाजीसुं रमवा,  उछरंग  अंग    माय ।
इन्द्रावती बाई कहे धामना साथने, हुं नमी नमी लागुं पाय ।। १२ ।।
प्रणाम जी........
योगी अर्जुन राज पुरी 





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